- बनवारी लाल
पापा हमें बताओ ना
कलम बड़ी है या तलवार॥
तलवारों से दुर्ग जीतते
तलवारों का भय होता है
शासन तलवारों से होता
तलवारों से जय होती है
तलवारों के आगे दुनिया
खड़ी मौन बनकर लाचार
मुझको तो लगता है पापा
छोटी कलम बड़ी तलवार॥
सच है बेटा दुर्ग जीतना
भय पैदा कर शासन करना
निर्दोषों का खून बहाना
लूटपाट कर महल बनाना
मानव को दानव कर देती
करुणा, दया जाती सब हार
इसीलिये शायद तुम समझे
छोटी कलम बड़ी तलवार॥
कलम क्रान्ति कर देती है
नई चेतना भर देती है
मुर्दों में भी प्राण फूँक कर
नई उमंगें भर देती है
बिगुल बजाकर, प्यार जगाकर
करती नभ जीवन संचार
इसीलिये तो मैं कहता हूँ
कलम बड़ी छोटी तलवार॥
पापा हमें बताओ ना
कलम बड़ी है या तलवार॥
तलवारों से दुर्ग जीतते
तलवारों का भय होता है
शासन तलवारों से होता
तलवारों से जय होती है
तलवारों के आगे दुनिया
खड़ी मौन बनकर लाचार
मुझको तो लगता है पापा
छोटी कलम बड़ी तलवार॥
सच है बेटा दुर्ग जीतना
भय पैदा कर शासन करना
निर्दोषों का खून बहाना
लूटपाट कर महल बनाना
मानव को दानव कर देती
करुणा, दया जाती सब हार
इसीलिये शायद तुम समझे
छोटी कलम बड़ी तलवार॥
कलम क्रान्ति कर देती है
नई चेतना भर देती है
मुर्दों में भी प्राण फूँक कर
नई उमंगें भर देती है
बिगुल बजाकर, प्यार जगाकर
करती नभ जीवन संचार
इसीलिये तो मैं कहता हूँ
कलम बड़ी छोटी तलवार॥
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