भानुमित्र
भूल गया हूँ तेरा चहरा जिस को देखा पहली बार
रोता था या हँसता था या अब जैसा था पहली बार
वायु वही है अग्नि वही है वो ही जल और वो ही धूप
आज भी अनुभव वैसा ही है जैसा हुआ था पहली बार
बाहों में हो या गोदी में माँ की छूअन रहती थी
जिस दिन मैंने चलना सीखा आँचल छूटा पहली बार
जिस दिन फल को गिरते देखा मैंने माँ से कह डाला
मेरे मरने तक तुम जीना ये क्यों बोला पहली बार
अपने बच्चों को ये दुनिया क्यों व्यापार समझती है
आखिर में घाटा होगा जो निवेश करेगा पहली बार
आया हूँ मैं कर्ज चुकाने जो भी है वह सब ले लो
अन्तिम बार यहाँ आया हूँ मित्र ये कहता पहली बार
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सम्पर्क :
१२/६९, दरिया महल नं० २,
८० - ने.पी.एन.सी. रोड,
मुम्बई - ४००००६
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रोता था या हँसता था या अब जैसा था पहली बार
वायु वही है अग्नि वही है वो ही जल और वो ही धूप
आज भी अनुभव वैसा ही है जैसा हुआ था पहली बार
बाहों में हो या गोदी में माँ की छूअन रहती थी
जिस दिन मैंने चलना सीखा आँचल छूटा पहली बार
जिस दिन फल को गिरते देखा मैंने माँ से कह डाला
मेरे मरने तक तुम जीना ये क्यों बोला पहली बार
अपने बच्चों को ये दुनिया क्यों व्यापार समझती है
आखिर में घाटा होगा जो निवेश करेगा पहली बार
आया हूँ मैं कर्ज चुकाने जो भी है वह सब ले लो
अन्तिम बार यहाँ आया हूँ मित्र ये कहता पहली बार
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सम्पर्क :
१२/६९, दरिया महल नं० २,
८० - ने.पी.एन.सी. रोड,
मुम्बई - ४००००६
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