डॉ0 वी0 के0 अग्रवाल के पाँच हाइकू March 16, 2008 दम्भ काहे को दम्भ जाये कुछ ना संग, अच्छे हों ढंग। थोड़ा थोड़ा ही थोड़ा धन अपार जोड़ा, बना ही रोड़ा। थैला सँभाले थैला, मन ना करें मैला, यश ही फैला। कंजूस बना कंजूस, लेता ही रहा घूस, बना भी हूस। दमड़ी बनी दमड़ी, उतार ले चमड़ी बात बिगड़ी। Read more