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Showing posts from 2017
7. अधिकांश   लेखक   दूसरे   की   प्रथा   पर   लिखने   से   बचते   हैं   आपको   नहीं   लगा   की   कुछ   गलत   लिख   दिया   तो .... - आपने   सही   कहा   है   कि   कोई   भी   लेखक   दूसरे   की   प्रथा   विशेष   कर   धार्मिक   प्रथाओं   पर   लिखने   से   बचता   है   और   बचाना   भी   चाहिए  l  मगर   यह   इस   पर   निर्भर   करता   है   कि   ऐसा   विषय   चुनते   हुए   उसकी   मंशा   और   नीयत   क्या   और   कैसी   है  l  ऐसा   ही   सवाल   कई   पाठकों   ने   मेरे   दूसरे   उपन्यास  ‘ बाबल   तेरा   देस   में ’   को   पढ़ने   के   बाद   उठाया   था  l  इस   उपन्यास   में   भी   ऐसे   मुद्दों   को   उठाया   गया   था  l  इस   बारे   में   मेरा   कहना   यह   है   कि   मुझे   बचना   या   डरना   तब   चाहिए   जब   मैं   दूसरे   मज़हब   या   धर्म   को   आहात   कर   रहा   हूँ  l  आप  ‘ हलाला ’  को   पढ़   कर   थोड़ी   देर   के   लिए   सहमत   या   असहमत   तो   हो   सकते   हैं   लेकिन   मेरी   बदनीयती   पर   सवाल   नहीं   उठा   सकते  l  हाँ ,  अगर   मुझे   सिर्फ़   विवादास्पद   होना   होता  ,  या   मुझे   कुछ