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जने अजीबी नासिरा शर्मा प्रेम कुमार

जने अजीबी नासिरा शर्मा

नासिरा शर्मा का नया उपन्यास पारिजात

वाङ्मय का कुसुम अंसल विशेषांक

भानु चैहान अलीगढ़ हिन्दी में साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में वाङ्मय एक जाना-माना नाम है। सामान्य अंकों के साथ-साथ समय-समय पर निकाले जाने वाले विशेषांकों जैसे- हिन्दी के मुस्लिम कथाकार अंक कबीर अंक साक्षात्कार अंक नारी अंक राही मासूम रज़ा अंक बदीउज्ज़़माँ अंक नासिरा शर्मा अंक आदि ने पत्रिका को विशेष ख्याति दिलाई। इसी क्रम में वाडमय पत्रिका अपने नये अंक-कथाकार कुसुम अंसल विशेषांक लेकर उपस्थिति हुई। कविता कहानी उपन्यास यात्रा वृतांत्त आत्मकथा नाटक निबंध अनुवाद आदि सभी विधाओं में अपनी कुशल रचनाधर्मिता का परिचय कुसुम जी ने दिया है किन्तु फिर भी यह दुखद है कि साहित्यिक जगत में वह स्थान नहीं मिला जिसकी वह अधिकारी हैं इसका कारण उनकी रचनाओं का उचित मूल्यांकन न होना भी हो सकता हैं इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए वाडमय पत्रिका ने कुसुम अंसल विशेषांक में उनके व्यक्तित्व व कृतित्त्व को विभिन्न कोणों से देखते-परखते हुए साहित्यिक जगत का ध्यान आकृष्ट करने और उसके मूल्यांकन का प्रयास किया गया है। विस्तृत फलक पर फैले कुसुम जी के साहित्य को चार भागों - व्यक्तित्व व कृतित्त्व और कविताओं का मूल्यांकन उपन

kusum ansal ank

अनुसंधान त्रैमासिक वर्ष : २ अंक : ६ अप्रैल-जून २०११ सम्पादक : डॉ. शगुफ्ता नियाज असि. प्रोफेसर हिन्दी, वीमेन्स कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़