Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2017

ग्रामीण मुस्लिम समाज की कहानियाँ -----अनवर सुहैल

आम   नागरिकों के   मन   में भारतीय मुस्लिम समाज के बारे में कई अजीबोगरीब धारणाएं और भ्रांतियां व्याप्त   हैं . प्रेमचंद की कहानी ' ईदगाह ' के दादी और   हामिद हों या  ' पञ्च - परमेश्वर ' के अलगू चौधरी और जुम्मन शेख , ऐसे कितने कम मुस्लिम पात्र हैं जिनसे बहुसंख्यक   समाज के छात्र या बच्चे   रूबरू हो   पाते   हैं . इतना कम जानते हैं लोग मुसलमानों के बारे में कि अंजाने में सौजन्यतावश ईद - बकरीद की तरह मुहर्रम की भी मुबारकबाद दे डालते हैं . स्कूली - कक्षाओं   में भी इन   मुस्लिम छात्रों का   कितना कम प्रतिशत होता है . जैसे - जैसे कक्षा बढती है मुस्लिम छात्रों   की   संख्या   घटती   जाती   है . उच्च शिक्षा   में तो   उँगलियों में गिने जा सकते   हैं   मुस्लिम छात्र . हाँ , समाज   में कसाई , दरजी , टायर पंक्चर वाले , ऑटो मेकेनिक , नाई जैसे कामों को करने   वाले   मुस्लिम   पात्रों   से बहुसंख्यक   समाज   मिलता - जुलता है . या फिर जरायम - पेशा कामों