डॉ० गोपाल बाबू शर्मा
अब
माँ सरस्वती भी
अपने उन पुत्रों को चाहती है
जिन पर
लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि होती है
उन्हीं को मिलता है
साहित्यकार के रूप में
मान-सम्मान।
वे ही माने जाते हैं
शिखर-पुरुष और महान्;
उन्हीं के यश का तनता वितान।
पत्र-पत्रिकाएँ
उन्हीं को हाईलाइट करती हैं,
छप जाती हैं
बड़ी आसानी से उनकी किताबें
उन पर बेहतरीन समीक्षाएँ
और मिल जाते हैं पुरस्कार
क्योंकि वे
सम्पादकों, प्रकाशकों,
समीक्षकों और निर्णायकों को
सुलभ करा सकते हैं
बढ़िया विदेशी शराब,
लाजवाब शबाब,
और दे सकते हैं क़ीमती उपहार।
वाह रे, चमत्कार!
गरीब सरस्वती-पुत्र
क्या खाकर
उनकी बराबरी करेगा?
बेचारा गुमनाम रह कर
किसी दिन
किसी शहर के गली-कूचे में मरेगा।
उसका लिखा साहित्य
कूड़े में फिंकेगा,
या फिर रद्दी में बिकेगा।
८२ सर्वोदय नगर, सासनी गेट,
अलीगढ़-२०२००१ (उ०प्र०)
अब
माँ सरस्वती भी
अपने उन पुत्रों को चाहती है
जिन पर
लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि होती है
उन्हीं को मिलता है
साहित्यकार के रूप में
मान-सम्मान।
वे ही माने जाते हैं
शिखर-पुरुष और महान्;
उन्हीं के यश का तनता वितान।
पत्र-पत्रिकाएँ
उन्हीं को हाईलाइट करती हैं,
छप जाती हैं
बड़ी आसानी से उनकी किताबें
उन पर बेहतरीन समीक्षाएँ
और मिल जाते हैं पुरस्कार
क्योंकि वे
सम्पादकों, प्रकाशकों,
समीक्षकों और निर्णायकों को
सुलभ करा सकते हैं
बढ़िया विदेशी शराब,
लाजवाब शबाब,
और दे सकते हैं क़ीमती उपहार।
वाह रे, चमत्कार!
गरीब सरस्वती-पुत्र
क्या खाकर
उनकी बराबरी करेगा?
बेचारा गुमनाम रह कर
किसी दिन
किसी शहर के गली-कूचे में मरेगा।
उसका लिखा साहित्य
कूड़े में फिंकेगा,
या फिर रद्दी में बिकेगा।
८२ सर्वोदय नगर, सासनी गेट,
अलीगढ़-२०२००१ (उ०प्र०)
Comments
नमन है आपकी लेखनी को ,आपने इतना कुछ कह दिया कि हमारे पास कहने के लिए कोई शब्द ही नही रहे .....सीमा सचदेव