सुरेश कुमार
बसा है कोई सितारा तुम्हारे ध्यान में क्या
तलाश करते हो घण्टों तुम आसमान में क्या
जिसे समझते हैं दरिया, दरख्त या बादल
वो बोलता है अभी तक उसी जबान में क्या
हमारी रूह तो जंगल में जा बसी कब की
करेंगे रह के अकेले अब इस मकान में क्या
बुलन्दियों के वो मंजर तो कल की बात हुए
कहाँ उड़ोगे मिलेगा भी अब उड़ान में क्या
हमारे साथ के कुछ लोग जा रहे हैं किधर
इन्हें भी ले लिया उसने किसी गुमान में क्या
कहाँ चले हो तुम इतनी उदासियाँ लेकर
इन्हें सजाओगे घर जाके फूलदान में क्या
**************************************
बसा है कोई सितारा तुम्हारे ध्यान में क्या
तलाश करते हो घण्टों तुम आसमान में क्या
जिसे समझते हैं दरिया, दरख्त या बादल
वो बोलता है अभी तक उसी जबान में क्या
हमारी रूह तो जंगल में जा बसी कब की
करेंगे रह के अकेले अब इस मकान में क्या
बुलन्दियों के वो मंजर तो कल की बात हुए
कहाँ उड़ोगे मिलेगा भी अब उड़ान में क्या
हमारे साथ के कुछ लोग जा रहे हैं किधर
इन्हें भी ले लिया उसने किसी गुमान में क्या
कहाँ चले हो तुम इतनी उदासियाँ लेकर
इन्हें सजाओगे घर जाके फूलदान में क्या
**************************************
Comments
कहाँ उड़ोगे मिलेगा भी अब उड़ान में क्या
bahut khuub!