देवमणि पाण्डेय
दिल के ज़ख्मों को क्या सीना
दर्द नहीं तो फिर क्या जीना
प्यार नहीं तो बेमानी हैं
काबा , काशी और मदीना .
महलों वालों क्या समझेंगे
क्या मेहनत,क्या धूल पसीना .
मैं तो दरिया पार हुआ
बीच भंवर में रहा सफ़ीना .
दूनी हो गई दिल की क़ीमत
इसे मिला है इश्क़ नगीना .
तुम बिन तनहा है हर लम्हा
रीता रीता , साल - महीना
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादीwww.radiosabrang.com
दिल के ज़ख्मों को क्या सीना
दर्द नहीं तो फिर क्या जीना
प्यार नहीं तो बेमानी हैं
काबा , काशी और मदीना .
महलों वालों क्या समझेंगे
क्या मेहनत,क्या धूल पसीना .
मैं तो दरिया पार हुआ
बीच भंवर में रहा सफ़ीना .
दूनी हो गई दिल की क़ीमत
इसे मिला है इश्क़ नगीना .
तुम बिन तनहा है हर लम्हा
रीता रीता , साल - महीना
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादीwww.radiosabrang.com
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