प्राण शर्मा
कौन उस सा फकीर होता है
जो भी दिल का अमीर होता है
उस को क्या खौफ है ज़माने का
साफ जिसका ज़मीर होता है
ताना हर बात पर नहीं देते
पार दिल के ये तीर होता है
काश, कौधे नहीं कभी बिजली
फूल सा मन अधीर होता है
वैसा ही होता है मिजाज़ उस का
जिसका जैसा ज़मीर होता है
लोग पत्थर से ही नहीं होते
सबकी आंखों में नीर होता है
"प्राण" सदियाँ ही बीत जाती हैं
पैदा कब नित कबीर होता है.
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादी
www.radiosabrang.com
कौन उस सा फकीर होता है
जो भी दिल का अमीर होता है
उस को क्या खौफ है ज़माने का
साफ जिसका ज़मीर होता है
ताना हर बात पर नहीं देते
पार दिल के ये तीर होता है
काश, कौधे नहीं कभी बिजली
फूल सा मन अधीर होता है
वैसा ही होता है मिजाज़ उस का
जिसका जैसा ज़मीर होता है
लोग पत्थर से ही नहीं होते
सबकी आंखों में नीर होता है
"प्राण" सदियाँ ही बीत जाती हैं
पैदा कब नित कबीर होता है.
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