सतपाल ख्याल
लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे शजर बाबा
किसी तूफ़ान की इन बस्तियों पर है नज़र बाबा.
है अब तो मौसमों में ज़हर खुलकर सांस कैसे लें
हवा है आजकल कैसी तुझे कुछ है खबर बाबा.
ये माथा घिस रहे हो जिस की चौखट पर बराबर तुम
उठा के सर जरा देखो है उस पर कुछ असर बाबा.
न है वो नीम, न बरगद, न है गोरी सी वो लड़्की
जिसे छोड़ा था कल मैने यही है वो नगर बाबा.
न कोई मील पत्थर है जो दूरी का पता दे दे
ये कैसी है डगर बावा ये कैसा है सफ़र बाबा.
लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे शजर बाबा
किसी तूफ़ान की इन बस्तियों पर है नज़र बाबा.
है अब तो मौसमों में ज़हर खुलकर सांस कैसे लें
हवा है आजकल कैसी तुझे कुछ है खबर बाबा.
ये माथा घिस रहे हो जिस की चौखट पर बराबर तुम
उठा के सर जरा देखो है उस पर कुछ असर बाबा.
न है वो नीम, न बरगद, न है गोरी सी वो लड़्की
जिसे छोड़ा था कल मैने यही है वो नगर बाबा.
न कोई मील पत्थर है जो दूरी का पता दे दे
ये कैसी है डगर बावा ये कैसा है सफ़र बाबा.
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well wishes to u.