सलेम जुबरान
फ़िलीस्तीनी कवि
अनुवादक अनिल जनविजय
एक लटका हुआ अरब
सबसे ख़ूबसूरत खिलौना है
जिसे बच्चे ख़रीद सकते हैं
ओ नाजी शिविरों में मृत आत्माओं!
यह जो आदमी लटका है
बर्लिन का यहूदी नहीं है
एक अरब है मेरी तरह
यह लटका हुआ आदमी
तुम्हारे भाइयों ने इसे मारा है
तुम्हारे नाजी दोस्तों
जियोन के......
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फ़िलीस्तीनी कवि
अनुवादक अनिल जनविजय
एक लटका हुआ अरब
सबसे ख़ूबसूरत खिलौना है
जिसे बच्चे ख़रीद सकते हैं
ओ नाजी शिविरों में मृत आत्माओं!
यह जो आदमी लटका है
बर्लिन का यहूदी नहीं है
एक अरब है मेरी तरह
यह लटका हुआ आदमी
तुम्हारे भाइयों ने इसे मारा है
तुम्हारे नाजी दोस्तों
जियोन के......
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