नीरज गोस्वामी
घर अपना है ये जग सारा
बिन दीवारें बिन चोबारा
मन उसने ही तोडा अक्सर
जिस पर अपना सब कुछ वारा
सच का परचम थामो देखो
कैसे होती है पौ बारा
दुश्मन दिल से सच्चा हो तो
वो भी लगता हमको प्यारा
भूखा जब भी मांगे रोटी
मिलता उसको थोथा नारा
सूखी है भागा दौड़ी में
सबके जीवन की रस धारा
सुख में दुःख में आ जाता क्यों
इन आंखों से पानी खारा
दिल में चाहत हो तो 'नीरज'
दिन में दिखता चन्दा तारा
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादी www.radiosabrang.com
घर अपना है ये जग सारा
बिन दीवारें बिन चोबारा
मन उसने ही तोडा अक्सर
जिस पर अपना सब कुछ वारा
सच का परचम थामो देखो
कैसे होती है पौ बारा
दुश्मन दिल से सच्चा हो तो
वो भी लगता हमको प्यारा
भूखा जब भी मांगे रोटी
मिलता उसको थोथा नारा
सूखी है भागा दौड़ी में
सबके जीवन की रस धारा
सुख में दुःख में आ जाता क्यों
इन आंखों से पानी खारा
दिल में चाहत हो तो 'नीरज'
दिन में दिखता चन्दा तारा
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादी www.radiosabrang.com
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