देवमणि पाण्डेय
इंद्रधनुष में जैसे रंग
ख़्वाब रहे हैं मेरे संग.
उस चेहरे ने दस्तक दी
तन मन में भर गई उमंग.
प्रेम नगर मे पता चला
चाहत की गलियां हैं तंग.
मैं कुछ ऐसे तन्हा हूं
जैसे कोई कटी पतंग.
ख़ुशबू ने फूलों से कहा
जीना मरना तेरे संग.
लमहे में सदियां जी लें
हम तो ठहरे यार मलंग.
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादीwww.radiosabrang.com
इंद्रधनुष में जैसे रंग
ख़्वाब रहे हैं मेरे संग.
उस चेहरे ने दस्तक दी
तन मन में भर गई उमंग.
प्रेम नगर मे पता चला
चाहत की गलियां हैं तंग.
मैं कुछ ऐसे तन्हा हूं
जैसे कोई कटी पतंग.
ख़ुशबू ने फूलों से कहा
जीना मरना तेरे संग.
लमहे में सदियां जी लें
हम तो ठहरे यार मलंग.
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादीwww.radiosabrang.com
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