सलेम जुबरान
फ़िलीस्तीनी कवि
अनुवादक अनिल जनविजय
मेरी माँ को धिक्कारो
जिसने एक विदेशी को
अपनी छाती से लगाया
दूध पिलाया
जबकि मैं भूखा हूँ
घृणित है वह
जिसने मेरे बिस्तर पर
एक विदेशी को सुलाया
जबकि मैं उनींदा हूँ
लानत भेजो उस पर
जिसने अपने दिल में
एक विदेशी को बसाया
मुझे निकाल बाहर किया
एक वात्सल्यहीन भगोड़ा बनाया
मेरी माँ को कोसो
निन्दा करो उसकी
सब महिलाओं को धिक्कारो !
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फ़िलीस्तीनी कवि
अनुवादक अनिल जनविजय
मेरी माँ को धिक्कारो
जिसने एक विदेशी को
अपनी छाती से लगाया
दूध पिलाया
जबकि मैं भूखा हूँ
घृणित है वह
जिसने मेरे बिस्तर पर
एक विदेशी को सुलाया
जबकि मैं उनींदा हूँ
लानत भेजो उस पर
जिसने अपने दिल में
एक विदेशी को बसाया
मुझे निकाल बाहर किया
एक वात्सल्यहीन भगोड़ा बनाया
मेरी माँ को कोसो
निन्दा करो उसकी
सब महिलाओं को धिक्कारो !
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