प्राण शर्मा
हर कोई ए दोस्तो रोता या चिल्ला नहीं
कौन कहता है कि दुख का मारा मुस्काता नहीं
देखने में एकसे हैं वे भले ही दोस्तो
हर सितारा रोशनी भरपूर बरसाता नहीं
लाख हों ए दोस्तो जग के दबाब उसपर मगर
मन का सच्चा आदमी कसमें कभी खाता नहीं
सब्र इनसां का अगरचे उड़ गया तो उड़ गया
ये वो पंछी है जो फिर से पथ हाथ में आता नहीं
हो मज़े में कोई कितना दोस्तो परदेश में
याद अपना देश किस इनसान को आता नहीं
ये तो मुमकिन है कि टकरा जाए सहसा राह में
जानकर कोई किसी से 'प्राण' टकराता नहीं ।
द्वारा - चाँद शुक्ला हदियाबादी
www.radiosabrang.com
हर कोई ए दोस्तो रोता या चिल्ला नहीं
कौन कहता है कि दुख का मारा मुस्काता नहीं
देखने में एकसे हैं वे भले ही दोस्तो
हर सितारा रोशनी भरपूर बरसाता नहीं
लाख हों ए दोस्तो जग के दबाब उसपर मगर
मन का सच्चा आदमी कसमें कभी खाता नहीं
सब्र इनसां का अगरचे उड़ गया तो उड़ गया
ये वो पंछी है जो फिर से पथ हाथ में आता नहीं
हो मज़े में कोई कितना दोस्तो परदेश में
याद अपना देश किस इनसान को आता नहीं
ये तो मुमकिन है कि टकरा जाए सहसा राह में
जानकर कोई किसी से 'प्राण' टकराता नहीं ।
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