नदीम अहमद
अति महत्त्वाकांक्षी पिता जमाने की अंधी दौड़ में अपने पुत्र को आगे रखने के लिए किसी भी हद तक कुछ भी करने को तैयार था।
प्रायोगिक परीक्षा में उसने व्याख्याता पर दबाव बनाया कि उसके पुत्र को उच्चतम नम्बर दिए जाये। उसने लालच भी दिया लेकिन व्याख्याता ईमान के पथ से डिगने को तैयार नहीं था। आखिर हताश, निराश पिता ने आखिरी दाव चल ही दिया कि उक्त व्याख्याता प्रायोगिक परीक्षा में अच्छे नम्बरों की एवज में उनसे रिश्वत मांग रहा है।
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अति महत्त्वाकांक्षी पिता जमाने की अंधी दौड़ में अपने पुत्र को आगे रखने के लिए किसी भी हद तक कुछ भी करने को तैयार था।
प्रायोगिक परीक्षा में उसने व्याख्याता पर दबाव बनाया कि उसके पुत्र को उच्चतम नम्बर दिए जाये। उसने लालच भी दिया लेकिन व्याख्याता ईमान के पथ से डिगने को तैयार नहीं था। आखिर हताश, निराश पिता ने आखिरी दाव चल ही दिया कि उक्त व्याख्याता प्रायोगिक परीक्षा में अच्छे नम्बरों की एवज में उनसे रिश्वत मांग रहा है।
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