सतपाल ख्याल
इतने टुकड़ों में बंट गया हूं मैं
मैं खुद का कितना हूं सोचता हूं मैं.
ये हुनर आते आते आया है
अब तो ग़ज़लों में ढल रहा हूं मैं.
हो असर या न हो किसे परवाह
काम सजदा मेरा दुआ हूं मैं.
कैसे बाजार में गुजर होगी
बस यही सोचकर बिका हूं मैं
प्रकाशन हेतु रचनाएं आमंत्रित हैं।
सतपाल ख्याल
इतने टुकड़ों में बंट गया हूं मैं
मैं खुद का कितना हूं सोचता हूं मैं.
ये हुनर आते आते आया है
अब तो ग़ज़लों में ढल रहा हूं मैं.
हो असर या न हो किसे परवाह
काम सजदा मेरा दुआ हूं मैं.
कैसे बाजार में गुजर होगी
बस यही सोचकर बिका हूं मैं
Comments
bahut shukria naacheez ko blog par samman dene ka.
Thanks
satpal khyaal.