जिजिथ हरिदास
हर पल एक परछाई की तरफ
वो मेरा साथ देता रहा।
एक भी दिन न था जब
वो मेरे यादों में न आया हो।
वह दिन जिंदगी का अनमेल दिन था
मेरे प्यारे दोस्तों
कभी टीचर सताते हुए
कभी किए गलती के लिए माफी मांगते हुए
एक भी न था जो हमारे से अधूरा
माँ तो गई हमारी शिकायत सुनते-सुनते
एक भी गली न थी जहाँ हम न गए हो
एक भी न था हमने न खेला हो
उसे कभी न मैं भूलूगा आज
वो पल कभी न वापस आएगा
जब वो अपने नए शहर चला गया
आज भी याद आता है
वो मेरा प्यारा दोस्त।
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हर पल एक परछाई की तरफ
वो मेरा साथ देता रहा।
एक भी दिन न था जब
वो मेरे यादों में न आया हो।
वह दिन जिंदगी का अनमेल दिन था
मेरे प्यारे दोस्तों
कभी टीचर सताते हुए
कभी किए गलती के लिए माफी मांगते हुए
एक भी न था जो हमारे से अधूरा
माँ तो गई हमारी शिकायत सुनते-सुनते
एक भी गली न थी जहाँ हम न गए हो
एक भी न था हमने न खेला हो
उसे कभी न मैं भूलूगा आज
वो पल कभी न वापस आएगा
जब वो अपने नए शहर चला गया
आज भी याद आता है
वो मेरा प्यारा दोस्त।
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