अतुल अजनबी
कैसे होता है अब गुजर मेरा
आओ देखो कभी ये घर मेरा
एक दिन साथ चल के देख जरा
कितना दुश्वार है सफर मेरा
साजिशे धूप की कुछ ऐसी है।
बच नहीं सकता अब शजर मेरा
गॉव की याद जब सताती है
मन नहीं लगता तब इधर मेरा
उस तरफ जाऊं किस बहाने से
कोई रहता नहीं उधर मेरा
कुछ न पाओगे तुम वफा के सिवा
चीर कर देख लो जिगर मेरा
इक मुलाकात बस हुई उससे
आज तक उस पे है असर मेरा
बस यही दिल में एक हसरत है
मुझको जिन्दा रखे हुनर मेरा
'अजनबी' बन के जिस मकॉ में रहा
कैसे कह दूं कि वो है घर मेरा
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कैसे होता है अब गुजर मेरा
आओ देखो कभी ये घर मेरा
एक दिन साथ चल के देख जरा
कितना दुश्वार है सफर मेरा
साजिशे धूप की कुछ ऐसी है।
बच नहीं सकता अब शजर मेरा
गॉव की याद जब सताती है
मन नहीं लगता तब इधर मेरा
उस तरफ जाऊं किस बहाने से
कोई रहता नहीं उधर मेरा
कुछ न पाओगे तुम वफा के सिवा
चीर कर देख लो जिगर मेरा
इक मुलाकात बस हुई उससे
आज तक उस पे है असर मेरा
बस यही दिल में एक हसरत है
मुझको जिन्दा रखे हुनर मेरा
'अजनबी' बन के जिस मकॉ में रहा
कैसे कह दूं कि वो है घर मेरा
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