वेद पी० शर्मा
खो रही अस्तित्व अपना मानव की आत्मा
सोच कर आज घबरा रहा है परमात्मा
सता रही है आज आत्मा को आत्मा
आत्मा ही बन गई है सभी के लिए परमात्मा
बचा रही है उनको जो रोकते हैं धन से जो उसकी साधना
जाना दुश्वार हो गरीब लाचारों को जो करते हैं सामना
और तोड़ देते है यहीं किसी कोने में
टकराती है भूख से जब लोभित होती आत्मा
लोभित न हो तो आज तन को ही छोड़ देती है आत्मा
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