Vidhya Devdas Nair
दिल की गहराईयों में झाँकतें समय
मुझे दर्द ही दर्द नजर आता है,
जिन्दगी की राह में चलते समय
मुझे सिर्फ तन्हाईयाँ नजर आती है,
कभी-कभी लगता है मिटा दूँ
नामो निशां इस जिन्दगी का,
मगर जिन्दगी जीना है मुझे हर लम्हा,
पर क्यों हो जीती हूँ मैं हर बार तन्हा,
दिल रोता है, पर आँखों में आँसू नहीं,
बहुत कुछ कहना है मुझे,
पर होंठों पर अलफाज नहीं,
कहूँ तो किससे कहूँ, कोई हमदर्द भी तो नहीं ,
अगर कुछ है तो वो है बस मीलों की खामोशी,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
कभी जगा देती है मुझे एक किरण ममता की,
पर थोड़ी ही देर में इसे मिटा देती है तूफान मायूसी की,
किसी अनदेखा, अनजान एक चेहरा पैगाम देती है
सलाह जीने की,
मगर तन्हाई का आलम तो याद कराती है
मुझे मौत के सूने दहलीज की,
एक पल जब मुझे छू लेती है खुशी की लहर,
दूसरे ही पल में जिन्दगी बन जाती है जहर,
आदत पड़ गई है मुझे अब इस तन्हाई की,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
कहते है जिन्दगी तो एक खुली किताब है,
इसे पढ़ना और समझना मुशिकल ही तो है,
क्या इसमें होते है पन्ने केवल टूटे ख्वाबों के,
और अधूरी मनोकामना के दर्द भरे चीत्कारों से,
कितनी अजीब है मेरी ये जिन्दगानी,
डर है मुझे कहीं, ये न बन जाए एक दर्द की कहानी,
क्या जाने ऐ किस्मत मुझे कहाँ ले जाएगी,
ठस तन्हाई ने तो मुझे अभी से मौत देदी ,
दुनिया ने मुझे अकेलेपन की सजा देदी,
क्या पता चोट खाते-खाते मेरा अस्तित्व ही मिट जाए,
पर क्या फायदा मैं तो अभी से एक जिन्दा लाश बन गई हूँ,
मेरे आँसू देगें शायद मेरे दर्दे दिल की गवाही,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
ये सच है कि मैं हूँ वकाई तन्हा,
पर चाहती तो मैं भी हूँ कि तन्हाई का ये आलम मिट जाए,
औरों की तरह मेरी जिन्दगी में भी बहार आए,
मुझे भी जीना है इस दुनिया में,
आखिर मेरा क्यों जन्म हुआ है, इस जहाँ में,
काश ऐसा भी कोई दिन आए,
जब जिन्दगी, फूल बन, मुझे देख मुस्काएँ,
और दिल में काली घटा हट कर, सुकून की वर्षा आए,
तब आँखों से सच्चे प्यार की आँसू झलकेगी,
तन्हाई और मायूसी की सारी दीवार टूटेगी,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
दोस्तों मत नकरो इसे,
है नहीं ये किसी की दर्द भरी कहानी,
शायद हो सकती ये तुम्हारे ही किसी अजीज दोस्त की दास्तानी,
आँखों में जिसके है छिपी, दर्द के आँसू,
आँधी बनकर जो बेजुबान है खड़ी,
पर आपके खुशी की निगाहें उसे कभी भी समझ नहीं पाएँगें,
अगर कभी हो जाओगे एक पल के लिए अकेला,
तभी महसूस कर पाओगे मेरे दर्द का अंधेरा,
इंतजार है मुझे किसी ऐसे दोस्त का
जो दूर कर दे मेरी तन्हाई,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
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Dr.G.R,Damodarna college of science
Coimbatore-14
दिल की गहराईयों में झाँकतें समय
मुझे दर्द ही दर्द नजर आता है,
जिन्दगी की राह में चलते समय
मुझे सिर्फ तन्हाईयाँ नजर आती है,
कभी-कभी लगता है मिटा दूँ
नामो निशां इस जिन्दगी का,
मगर जिन्दगी जीना है मुझे हर लम्हा,
पर क्यों हो जीती हूँ मैं हर बार तन्हा,
दिल रोता है, पर आँखों में आँसू नहीं,
बहुत कुछ कहना है मुझे,
पर होंठों पर अलफाज नहीं,
कहूँ तो किससे कहूँ, कोई हमदर्द भी तो नहीं ,
अगर कुछ है तो वो है बस मीलों की खामोशी,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
कभी जगा देती है मुझे एक किरण ममता की,
पर थोड़ी ही देर में इसे मिटा देती है तूफान मायूसी की,
किसी अनदेखा, अनजान एक चेहरा पैगाम देती है
सलाह जीने की,
मगर तन्हाई का आलम तो याद कराती है
मुझे मौत के सूने दहलीज की,
एक पल जब मुझे छू लेती है खुशी की लहर,
दूसरे ही पल में जिन्दगी बन जाती है जहर,
आदत पड़ गई है मुझे अब इस तन्हाई की,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
कहते है जिन्दगी तो एक खुली किताब है,
इसे पढ़ना और समझना मुशिकल ही तो है,
क्या इसमें होते है पन्ने केवल टूटे ख्वाबों के,
और अधूरी मनोकामना के दर्द भरे चीत्कारों से,
कितनी अजीब है मेरी ये जिन्दगानी,
डर है मुझे कहीं, ये न बन जाए एक दर्द की कहानी,
क्या जाने ऐ किस्मत मुझे कहाँ ले जाएगी,
ठस तन्हाई ने तो मुझे अभी से मौत देदी ,
दुनिया ने मुझे अकेलेपन की सजा देदी,
क्या पता चोट खाते-खाते मेरा अस्तित्व ही मिट जाए,
पर क्या फायदा मैं तो अभी से एक जिन्दा लाश बन गई हूँ,
मेरे आँसू देगें शायद मेरे दर्दे दिल की गवाही,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
ये सच है कि मैं हूँ वकाई तन्हा,
पर चाहती तो मैं भी हूँ कि तन्हाई का ये आलम मिट जाए,
औरों की तरह मेरी जिन्दगी में भी बहार आए,
मुझे भी जीना है इस दुनिया में,
आखिर मेरा क्यों जन्म हुआ है, इस जहाँ में,
काश ऐसा भी कोई दिन आए,
जब जिन्दगी, फूल बन, मुझे देख मुस्काएँ,
और दिल में काली घटा हट कर, सुकून की वर्षा आए,
तब आँखों से सच्चे प्यार की आँसू झलकेगी,
तन्हाई और मायूसी की सारी दीवार टूटेगी,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
दोस्तों मत नकरो इसे,
है नहीं ये किसी की दर्द भरी कहानी,
शायद हो सकती ये तुम्हारे ही किसी अजीज दोस्त की दास्तानी,
आँखों में जिसके है छिपी, दर्द के आँसू,
आँधी बनकर जो बेजुबान है खड़ी,
पर आपके खुशी की निगाहें उसे कभी भी समझ नहीं पाएँगें,
अगर कभी हो जाओगे एक पल के लिए अकेला,
तभी महसूस कर पाओगे मेरे दर्द का अंधेरा,
इंतजार है मुझे किसी ऐसे दोस्त का
जो दूर कर दे मेरी तन्हाई,
यूँही चलती रहेगी लहर ये जिन्दगी की।
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Dr.G.R,Damodarna college of science
Coimbatore-14
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