वीरेन्द्र जैन
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
नोटों की बरसात में वोटों की बरसात में
कैसी बिडम्बना है भाई
सावन में आजादी आई
हरा हरा दिखता है अब तो
इनको अब हर हालात में
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
जकड़न ढीली हो पायेगी
जब घर में गर्मी आयेगी
पूंजी ओ सामंती पल्ले
अभी जुडे हैं साथ मे
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
इनको अभी खोलना चाहो
तो थोड़ा सा जोर लगाओ
लातों के गुरूदेव कहां
माना करते हैं बात में
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
********************************
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
नोटों की बरसात में वोटों की बरसात में
कैसी बिडम्बना है भाई
सावन में आजादी आई
हरा हरा दिखता है अब तो
इनको अब हर हालात में
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
जकड़न ढीली हो पायेगी
जब घर में गर्मी आयेगी
पूंजी ओ सामंती पल्ले
अभी जुडे हैं साथ मे
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
इनको अभी खोलना चाहो
तो थोड़ा सा जोर लगाओ
लातों के गुरूदेव कहां
माना करते हैं बात में
लकड़ी के दरवाजे जैसे
श्रीमान बिल्कुल ही वैसे
फूल गये बरसात में
********************************
Comments