मुनीर न्याजी
उस समय
जब यह सारे घर पक्के नहीं होते थे
रास्ते में चलती फिरती मृत्यु का डर
इतना अधिक नहीं था
लोग आकाश की चुप्पी से डरकर
इसी तरह ही शोर मचाते थे
अकेले रहने से वे सब भी
हमारी तरह घबराते थे ।
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मुनीर न्याजी
उस समय
जब यह सारे घर पक्के नहीं होते थे
रास्ते में चलती फिरती मृत्यु का डर
इतना अधिक नहीं था
लोग आकाश की चुप्पी से डरकर
इसी तरह ही शोर मचाते थे
अकेले रहने से वे सब भी
हमारी तरह घबराते थे ।
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