वीरेन्द्र जैन
जब तक सब पेटों को रोटी
जब हाथों को काम नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
मिलता नागरिकों को जब तक
रोजी का अधिकार नहीं है
जिन्दा रहने के अधिकारों
का कोई आधार नहीं है
संविधान की लिखतों से
जिन्दा रहना आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
जब तक राजनीति के कुत्ते
नाम धर्म का ले लड़वाते
मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारों से
जब तक हैं वोटों के नाते
जबतक मेहनतकश दरिद्र-
नारायण का सम्मान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
युवकों के भविष्य तय करते
हैं, बूढे मुर्दा पाखण्डी
ऐसे व्याह बाजार लगे हैं
जैसे हो सांड़ों की मण्डी
जब तक नई पीढी के हाथों
अपनी स्वयं कमान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
जब तक सेठों की बहियों पर
रोज अंगूठे टेके जाते
लोकतंत्र के नाम स्वार्थ के
मोटे टिक्कर सैंके जाते
जब तक भारत के हर जन को
पूरा अक्षर ज्ञान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
मेरा देश महान नहीं पर
हो सकना तो संभावित है
वर्तमान प्रारंभ करे तो
फिर भविष्य में गुंजाइश है
आओ इसे महान बनायें
क्यों समझें आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
***********************************
२/१ शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल म.प्र.
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जब तक सब पेटों को रोटी
जब हाथों को काम नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
मिलता नागरिकों को जब तक
रोजी का अधिकार नहीं है
जिन्दा रहने के अधिकारों
का कोई आधार नहीं है
संविधान की लिखतों से
जिन्दा रहना आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
जब तक राजनीति के कुत्ते
नाम धर्म का ले लड़वाते
मन्दिर मस्जिद गुरूद्वारों से
जब तक हैं वोटों के नाते
जबतक मेहनतकश दरिद्र-
नारायण का सम्मान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
युवकों के भविष्य तय करते
हैं, बूढे मुर्दा पाखण्डी
ऐसे व्याह बाजार लगे हैं
जैसे हो सांड़ों की मण्डी
जब तक नई पीढी के हाथों
अपनी स्वयं कमान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
जब तक सेठों की बहियों पर
रोज अंगूठे टेके जाते
लोकतंत्र के नाम स्वार्थ के
मोटे टिक्कर सैंके जाते
जब तक भारत के हर जन को
पूरा अक्षर ज्ञान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
मेरा देश महान नहीं पर
हो सकना तो संभावित है
वर्तमान प्रारंभ करे तो
फिर भविष्य में गुंजाइश है
आओ इसे महान बनायें
क्यों समझें आसान नहीं है
मेरा देश महान नहीं है
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२/१ शालीमार स्टर्लिंग रायसेन रोड
अप्सरा टाकीज के पास भोपाल म.प्र.
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