अतुल अजनबी (ग्वालियर)
अब कोई भी तुम्हारा हमारा नहीं
भाई को भाई का जब सहारा नहीं
साथ देता वो कैसे मेरा वक्त पर
वक्त पर मैंने उसको पुकारा नहीं
जो इशारा समझ ले हर-इक आदमी
वो इशारा तो कोई इशारा नहीं
कैसे कह दूं मैं उसको बुरा दोस्तों
साथ उसके जब इक दिन गुजारा नहीं
मान ली हार उसने, अलग बात है
सच तो ये है कि वो मुझसे हारा नहीं
सच कहॅूगा अगर, रूठ जायेगा वो
झूट सुनना भी उसको गवारा नहीं
'अजनबी' कॉप उठता हूं ये सोचकर
मार सकता था वो फिर भी मारा नहीं
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अब कोई भी तुम्हारा हमारा नहीं
भाई को भाई का जब सहारा नहीं
साथ देता वो कैसे मेरा वक्त पर
वक्त पर मैंने उसको पुकारा नहीं
जो इशारा समझ ले हर-इक आदमी
वो इशारा तो कोई इशारा नहीं
कैसे कह दूं मैं उसको बुरा दोस्तों
साथ उसके जब इक दिन गुजारा नहीं
मान ली हार उसने, अलग बात है
सच तो ये है कि वो मुझसे हारा नहीं
सच कहॅूगा अगर, रूठ जायेगा वो
झूट सुनना भी उसको गवारा नहीं
'अजनबी' कॉप उठता हूं ये सोचकर
मार सकता था वो फिर भी मारा नहीं
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