राजश्री खत्री
कुछ चटक गया, कुछ चुभ गया,
कुछ टूट गया, कुछ जुड़ गया॥
ये अनजाना बन्धन कैसा है॥
पास रहकर, कोई दूर है,
दूर रहकर भी, कोई पास है।
शेष भूली-बिसरी, यादें है॥
ये बन्धन कैसा है
बिछुड़ गया कोई, कोई आनमिला,
अपनी राह कोई मुड़ लौट चला॥
टूटे सपनों की आवाजें है॥
ये बन्धन कैसा है
कुछ बादल से,
आसमान में छा गये,
कुछ गरज बरस, निकल गये॥
बारिश से आयै भीगा स्पर्श, अछूता स्पर्श सा
ये बन्धन कैसा है।
कुछ ऑसू कोरों, में ही रह गये,
कुछ ढुलुक-ढुलुक बह गये॥
कुछ बूंदें सी में बन्द है॥
में बन्धन कैसा है
कुछ चटक गया, कुछ चुभ गया,
कुछ टूट गया, कुछ जुड़ गया॥
ये अनजाना बन्धन कैसा है॥
पास रहकर, कोई दूर है,
दूर रहकर भी, कोई पास है।
शेष भूली-बिसरी, यादें है॥
ये बन्धन कैसा है
बिछुड़ गया कोई, कोई आनमिला,
अपनी राह कोई मुड़ लौट चला॥
टूटे सपनों की आवाजें है॥
ये बन्धन कैसा है
कुछ बादल से,
आसमान में छा गये,
कुछ गरज बरस, निकल गये॥
बारिश से आयै भीगा स्पर्श, अछूता स्पर्श सा
ये बन्धन कैसा है।
कुछ ऑसू कोरों, में ही रह गये,
कुछ ढुलुक-ढुलुक बह गये॥
कुछ बूंदें सी में बन्द है॥
में बन्धन कैसा है
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