अहमद फ़राज
बेसरो-सामाँ1 थे लेकिन इतना अन्दाज़ा न था
इससे पहले शहर के लुटने का आवाज़ा2 न था
ज़र्फ़े-दिल3 देखा तो आँखें कर्ब4 से पथरा गयीं
ख़ून रोने की तमन्ना का ये ख़मियाज़ा5 न था
आ मेरे पहलू में आ ऐ रौनके- बज़्मे-ख़याल6
लज्ज़ते-रुख़्सारो-लब7 का अबतक अन्दाजा न था
हमने देखा है ख़िजाँ8 में भी तेरी आमद के बाद
कौन सा गुल था कि गुलशन में तरो-ताज़ा न था
हम क़सीदा ख़्वाँ9 नहीं उस हुस्न के लेकिन फ़राज़
इतना कहते हैं रहीने-सुर्मा-ओ-ग़ाज़ा10 न था
1 ज़िन्दगी के ज़रूरी सामान के बिना 2. धूम 3. दिल की सहनशीलता 4. दुख, बेचैनी, 5. परिणाम, करनी का फल 6. कल्पना की सभा की शोभा 7. गालों और होंटों का आनन्द 8. पतझड़ 9,. प्रशस्ति-गायक, प्रशंसक 10 सुर्मे और लाली पर निर्भर
बेसरो-सामाँ1 थे लेकिन इतना अन्दाज़ा न था
इससे पहले शहर के लुटने का आवाज़ा2 न था
ज़र्फ़े-दिल3 देखा तो आँखें कर्ब4 से पथरा गयीं
ख़ून रोने की तमन्ना का ये ख़मियाज़ा5 न था
आ मेरे पहलू में आ ऐ रौनके- बज़्मे-ख़याल6
लज्ज़ते-रुख़्सारो-लब7 का अबतक अन्दाजा न था
हमने देखा है ख़िजाँ8 में भी तेरी आमद के बाद
कौन सा गुल था कि गुलशन में तरो-ताज़ा न था
हम क़सीदा ख़्वाँ9 नहीं उस हुस्न के लेकिन फ़राज़
इतना कहते हैं रहीने-सुर्मा-ओ-ग़ाज़ा10 न था
1 ज़िन्दगी के ज़रूरी सामान के बिना 2. धूम 3. दिल की सहनशीलता 4. दुख, बेचैनी, 5. परिणाम, करनी का फल 6. कल्पना की सभा की शोभा 7. गालों और होंटों का आनन्द 8. पतझड़ 9,. प्रशस्ति-गायक, प्रशंसक 10 सुर्मे और लाली पर निर्भर
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