अमृता प्रीतम
चैत ने करवट ली
रंगों के मेले के लिए
फूलों ने रेशम बटोरा-
तू नहीं आया
दोपहरें लम्बी हो गयीं,
दाख़ों को लाली छू गयी
दराँती ने गेहूँ की बालियाँ चूम लीं-
तू नहीं आया
बादलों की दुनिया छा गयी,
धरती ने हाथों को बढ़ाया
आसमान की रहमत पी ली-
तू नहीं आया
पेड़ों ने जादू कर दिया,
जंगल से आयी हवा के
होठों में शहद भर गया-
तू नहीं आया
ऋतु ने एक टोना कर दिया,
और चाँद ने आ कर
रात के माथे पर झूमर लटका दिया-
तू नहीं आया
आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे-
तू नहीं आया
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता-
तू नहीं आया
चैत ने करवट ली
रंगों के मेले के लिए
फूलों ने रेशम बटोरा-
तू नहीं आया
दोपहरें लम्बी हो गयीं,
दाख़ों को लाली छू गयी
दराँती ने गेहूँ की बालियाँ चूम लीं-
तू नहीं आया
बादलों की दुनिया छा गयी,
धरती ने हाथों को बढ़ाया
आसमान की रहमत पी ली-
तू नहीं आया
पेड़ों ने जादू कर दिया,
जंगल से आयी हवा के
होठों में शहद भर गया-
तू नहीं आया
ऋतु ने एक टोना कर दिया,
और चाँद ने आ कर
रात के माथे पर झूमर लटका दिया-
तू नहीं आया
आज तारों ने फिर कहा,
उम्र के महल में अब भी
हुस्न के दीये से जल रहे-
तू नहीं आया
किरणों का झुरमुट कह रहा,
रातों की गहरी नींद से
उजाला अब भी जागता-
तू नहीं आया
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