सीमा गुप्ता
फिर वही आतिशफिशानी कर रही उसकी अदा
फिर वही मदिरा पिला डाली है उसके जाम ने ..........
जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से
दी सदा उसको हर एक दर ने हर एक बाम ने......
एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे
उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने...
फिर वही आतिशफिशानी कर रही उसकी अदा
फिर वही मदिरा पिला डाली है उसके जाम ने ..........
जब भी गुज़रा वो हसीं पैकर मेरे इतराफ़ से
दी सदा उसको हर एक दर ने हर एक बाम ने......
एक अजब खामोश सा एहसास था दिल में मेरे
उसका नज़ारा किया है पहले हर इक गाम ने...
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