सीमा गुप्ता
अमानत मे अब और खयानत ना की जाए ,
आहें-शरर -फीशां आज उन्हें लौटाई जाए...
हिज्र-ऐ-यार मे जो हुआ चाक दामन मेरा,
दरिया-ऐ-इजतराब उनके सामने ही बहाई जाए
(आहें-शरर -फीशां - चिंगारियां फैंकने वाली आहें
हिज्र-ऐ-यार - प्रेमी का विरह
दरिया-ऐ-इजतराब- बेचेनी का दरीया)
अमानत मे अब और खयानत ना की जाए ,
आहें-शरर -फीशां आज उन्हें लौटाई जाए...
हिज्र-ऐ-यार मे जो हुआ चाक दामन मेरा,
दरिया-ऐ-इजतराब उनके सामने ही बहाई जाए
(आहें-शरर -फीशां - चिंगारियां फैंकने वाली आहें
हिज्र-ऐ-यार - प्रेमी का विरह
दरिया-ऐ-इजतराब- बेचेनी का दरीया)
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