सीमा गुप्ता
तजवीज़ कोई मुझ को वो क्यूँ कर सज़ा करे,
जो बात कहनी हो वो निगाहें मिला करे....
कब तक सुकून -ऐ -दिल के लिये वो मकान करे,
घर को मिटा के मुझ को मगर बे-अमां करे....
है तो सदा बुलंद मगर कियूं सुनाई दे,
दिल से निकल रही हो जो उसके दुआ करे....
दागे फिराक देके वो गुलचीन चला गया,
किसके लिये तू बाग़ अब आशियाँ करे....
'सीमा शहर में हो कोई जो सरफिरा बने ,
होगा वो किस गली में यह कैसे गुमान करे ,
झोली में मेरी डाल के हीरा किया करम,
दानी उसे बचाने की रब से दुआ करे..........
तजवीज़ कोई मुझ को वो क्यूँ कर सज़ा करे,
जो बात कहनी हो वो निगाहें मिला करे....
कब तक सुकून -ऐ -दिल के लिये वो मकान करे,
घर को मिटा के मुझ को मगर बे-अमां करे....
है तो सदा बुलंद मगर कियूं सुनाई दे,
दिल से निकल रही हो जो उसके दुआ करे....
दागे फिराक देके वो गुलचीन चला गया,
किसके लिये तू बाग़ अब आशियाँ करे....
'सीमा शहर में हो कोई जो सरफिरा बने ,
होगा वो किस गली में यह कैसे गुमान करे ,
झोली में मेरी डाल के हीरा किया करम,
दानी उसे बचाने की रब से दुआ करे..........
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