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ये हवाएं तेरी ज़मीन से आई थी

Poornima Chaturvedi


ये हवाएं तेरी ज़मीन से आई थी
मेरी मिट्टी मे नही था बेवफा होना

मेरे घर की तासीर कड़वी ही सही, मगर
मैंने सिखा नही था मिश्री से ज़हर होना

ढूंढते कोई और बहाना दूर होने का
मुझे तो आता ही नही था तुझसे ख़फा होना


ये वक्त का तकाज़ा था या तादीर मेरी
पानी मे लिखा था मेरा धुंवा होना


अब मैं मैखाने के जानिब ही जाऊंगा
बहुत हो चुका अब मेरा ख़ुदा होना

खेल ही खेल मे हालात बदल जाएंगे
हमको मालूम न था यूँ दाना होना

दिल की हसरत निगाहों से कही थी हमने
उल्फत ने जाना नही था अभी ज़ुबां होना

Comments

शोभा said…
खेल ही खेल मे हालात बदल जाएंगे
हमको मालूम न था यूँ दाना होना

दिल की हसरत निगाहों से कही थी हमने
उल्फत ने जाना नही था अभी ज़ुबां होना
vaah bahut khub.
काफ़िया तथा बहर दोष से भरी है ये ग़ज़ल । बेवफ़ा का काफ़िया ज़हर या ज़ुबां नही हो सकता ।

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