VIJAY KUMAR SAPPATTI
जब तुम ज़िन्दगी की टेड़ी-मेढ़ी
और उदास राहों पर
चलकर ,थककर
किसी अपने की तलाश करने लगो ,
तो एक पुरानी ,जानी पहचानी राह पर चली जाना
ये थोडी सी आसान सी राह है
इसमे भी दुःख है ,दर्द है ;
पर ये थकाने वाली राह नही है ..
ये मोहब्बत की राह है !!!
जहाँ ये रास्ता ख़त्म होंगा ,
वहां तुम्हे एक कब्र मिलेंगी ;
उस कब्र के पत्थर अब उखड़ने लगे है
कब्र से एक झाड़ उग आया है ,
पहले इसमे फूल उगते थे ,अब कांटो से भरा पड़ा है..
कब्र पर कोई अपना ,कई दिन पहले
कुछ मोमबत्तियां जला कर छोड़ गया था ..
जिसे वक्त की आँधियों ने बुझा दिया था..
अब पिघली हुई मोम आंसुओं की
शक्लें लिए कब्र पर पड़ी है
काश , कोई उस कब्र को सवांरने वाला होता ..
पर मोहब्बत की कब्रों के साथ
ज़माना ऐसा ही सलुख करता है ..
कुछ फूल आस-पास बिखरे पड़े है
वो सब सुख चुके है
पर अब भी चांदनी रातों में उनसे खुशबू आती है ,
चारो तरफ़ बड़ी वीरानी है ..
तुम उस कब्र के पास चली आना
अपने आँचल से उसे साफ़ कर देना
अपने आंसुओं से उसे धो देना
फिर अपने नर्म लबों से
उसके सिरहाने को चूम लेना
वो मेरी कब्र है !!!
वहां तुम्हे सकून मिलेंगा
वहां तुम्हे एहसास होंगा
कि मोहब्बत हमेशा जिंदा रहती है ..!!
मेरी कब्र पर जब तुम अओंगी ,
तो , वहां कि मनहूसियत
थोड़े वक्त के लिए चली जायेंगी
कुछ यादें ताज़ा हो जायेंगी ..!!
जब कुछ और सन्नाटा गहरा जायेगा
तब, तुम्हे एक आवाज सुनाई देंगी
तुम्हे मेरी आह सुनाई देंगी ;
क्योकि मेरी वो कब्र
तुमने ही तो बनाई है !!!!
तुम्हे याद आयेगा कि
कैसे तुमने मेरा ज़नाजा
वहां दफनाया था ...!!
वक्त बड़ा बेरहम है ......
जब तुम वापस लौटोंगी
तो , मेरी आँखें ,तुम्हे ..
दूर तलक जातें हुए देखेंगी ....!
तुम;
फिर कब अओंगी मेरी कब्र पर !!!!!!!
जब तुम ज़िन्दगी की टेड़ी-मेढ़ी
और उदास राहों पर
चलकर ,थककर
किसी अपने की तलाश करने लगो ,
तो एक पुरानी ,जानी पहचानी राह पर चली जाना
ये थोडी सी आसान सी राह है
इसमे भी दुःख है ,दर्द है ;
पर ये थकाने वाली राह नही है ..
ये मोहब्बत की राह है !!!
जहाँ ये रास्ता ख़त्म होंगा ,
वहां तुम्हे एक कब्र मिलेंगी ;
उस कब्र के पत्थर अब उखड़ने लगे है
कब्र से एक झाड़ उग आया है ,
पहले इसमे फूल उगते थे ,अब कांटो से भरा पड़ा है..
कब्र पर कोई अपना ,कई दिन पहले
कुछ मोमबत्तियां जला कर छोड़ गया था ..
जिसे वक्त की आँधियों ने बुझा दिया था..
अब पिघली हुई मोम आंसुओं की
शक्लें लिए कब्र पर पड़ी है
काश , कोई उस कब्र को सवांरने वाला होता ..
पर मोहब्बत की कब्रों के साथ
ज़माना ऐसा ही सलुख करता है ..
कुछ फूल आस-पास बिखरे पड़े है
वो सब सुख चुके है
पर अब भी चांदनी रातों में उनसे खुशबू आती है ,
चारो तरफ़ बड़ी वीरानी है ..
तुम उस कब्र के पास चली आना
अपने आँचल से उसे साफ़ कर देना
अपने आंसुओं से उसे धो देना
फिर अपने नर्म लबों से
उसके सिरहाने को चूम लेना
वो मेरी कब्र है !!!
वहां तुम्हे सकून मिलेंगा
वहां तुम्हे एहसास होंगा
कि मोहब्बत हमेशा जिंदा रहती है ..!!
मेरी कब्र पर जब तुम अओंगी ,
तो , वहां कि मनहूसियत
थोड़े वक्त के लिए चली जायेंगी
कुछ यादें ताज़ा हो जायेंगी ..!!
जब कुछ और सन्नाटा गहरा जायेगा
तब, तुम्हे एक आवाज सुनाई देंगी
तुम्हे मेरी आह सुनाई देंगी ;
क्योकि मेरी वो कब्र
तुमने ही तो बनाई है !!!!
तुम्हे याद आयेगा कि
कैसे तुमने मेरा ज़नाजा
वहां दफनाया था ...!!
वक्त बड़ा बेरहम है ......
जब तुम वापस लौटोंगी
तो , मेरी आँखें ,तुम्हे ..
दूर तलक जातें हुए देखेंगी ....!
तुम;
फिर कब अओंगी मेरी कब्र पर !!!!!!!
Comments
जब तुम वापस लौटोंगी
तो , मेरी आँखें ,तुम्हे ..
दूर तलक जातें हुए देखेंगी ....!
बहुत सुंदर
इसमे भी दुःख है ,दर्द है ;
पर ये थकाने वाली राह नही है ..
ये मोहब्बत की राह है !!!
"एक दर्दभरी माम्रिक अभीव्यक्ति "