सीमा गुप्ता
बिलबिला के इस दर्द से,
किस पनाह मे निजात पाऊं...
तुने वसीयत मे जो दिए,
कुछ रुसवा लम्हे,
सुलगती तनहाई ,
जख्मो के सुर्ख नगीने...
इस खजाने को कहाँ छुपाऊं ...
अरमानो के बाँध किरकिराए,
अश्कों के काफिले साथ हुए,
किस बंजर भूमि पर बरसाऊ ...
जेहन मे बिखरी सनसनी,
रूह पे फैला सन्नाटा ,
संभावना की टूटती कडियाँ ,
किस ओक मे समेटूं , कहाँ सजाऊ...
बिलबिला के इस दर्द से,
किस पनाह मे निजात पाऊं...
तुने वसीयत मे जो दिए,
कुछ रुसवा लम्हे,
सुलगती तनहाई ,
जख्मो के सुर्ख नगीने...
इस खजाने को कहाँ छुपाऊं ...
अरमानो के बाँध किरकिराए,
अश्कों के काफिले साथ हुए,
किस बंजर भूमि पर बरसाऊ ...
जेहन मे बिखरी सनसनी,
रूह पे फैला सन्नाटा ,
संभावना की टूटती कडियाँ ,
किस ओक मे समेटूं , कहाँ सजाऊ...
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