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मोहब्बत की सांसों की

सीमा गुप्ता

अंधियारे की चादर पे,
छिटकी कोरी चांदनी ..
सन्नाटे मे दिल की धडकन ,
मर्म मे डूबे सितारों का
न्रत्य और ग़ज़ल...
झुलसती ख्वाइशों की
मुंदती हुई पलक ..
मोहब्बत की सांसों की,
आखरी नाकाम हलचल..
पिघलते ह्रदय का
करुण खामोश रुदन..
ये सब तुम्हारी बाट मे,
इक हिचकी बन अटके हैं..
अगर एक पल को तुम आते
इन सब को सांसों के कर्ज से...
निज़ात दिला जाते...

Comments

झुलसती ख्वाइशों की
मुंदती हुई पलक ..
मोहब्बत की सांसों की,
आखरी नाकाम हलचल..
क्या लफ्ज़ है...वाह...बेहतरीन...
नीरज
ghughutibasuti said…
बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया.उम्दा.

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