VIJAY KUMAR SAPPATTI आज मेरे शहर ने मुझे रुला दिया..... कुछ याद दिला गया , कुछ भुला दिया , मुझको ; मेरे शहर ने रुला दिया..... यहाँ की हवा की महक ने बीते बरस याद दिलाये इसकी खुली ज़मीं ने कुछ गलियों की याद दिलायी.... यहीं पहली साँस लिया था मैंने , यहीं पर पहला कदम रखा था मैंने ... इसी शहर ने जिन्दगी में दौड़ना सिखाया था. आज मेरे शहर ने मुझे रुला दिया..... दूर से आती हुई माँ की प्यारी सी आवाज , पिताजी की पुकार और भाई बहनो के अंदाज.. यहीं मैंने अपनों का प्यार देखा था मैंने... यहीं मैंने परायों का दुलार देख था मैंने ..... कभी हँसना और कभी रोना भी आया था यहीं , मुझे आज मेरे शहर ने मुझे रुला दिया.....
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