Ed. Dr. M. Fieoz Khan
इसी पुस्तक से...
हिजड़ा समाज में कुछ लोग ही जैविक रूप से इस समाज का हिस्सा होते हैं अधिकांश अपनी यौनिक पहचान की अस्पष्टता के कारण इस समाज में शामिल हो जाते हैं। यौनिकता की अस्पष्टता से तात्पर्य स्त्रा और पुरुष समाजीकृत संरचना में जेंडर आधारित व्यवहार को नहीं अपनाने से है। एक पुरुष का स्त्रियों की भांति नृत्य और संगीत में रुचि उसके व्यवहार को स्त्रौण बनाता है और समाज में वह बच्चा एक अलग श्रेणी में देखा जाने लगता है।....
... स्पष्ट जेंडर और यौनिक पहचान के कारण अपने नागरिक अधिकारों से वंचित रहने को भी मजबूर किया जाता रहा क्योंकि राज्य की सत्ता दो जेंडर भूमिकाओं पर कार्यरत है। तीसरे की भूमिका को वह स्वीकारता ही नहीं है। इसी कारण शिक्षा के क्षेत्रा में ऐसे बच्चों को एक ओर सामाजिक कारणों से अपमानित किया जाता है तो दूसरी ओर राज्य की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण, परिवार द्वारा मजबूर होकर ट्रांसजेंडर समुदाय में शामिल कर दिया जाता है। यहाँ रोजगार की विकल्पहीनता इन्हें परंपरागत पेशा नाच-गाना, बधाई, नेग के लिए मजबूर करती है। इस समुदाय के अधिकांश लोगों के समक्ष जब भी यह समस्या आई उन्होंने यही पेशा अपनाया। क्योंकि समाज में उनके लिए यही पूर्व निर्धारित है और जब भी परम्परागत छवि से बाहर जाकर शिक्षा पाकर कुछ करना चाहा तो अपमानित होना पड़ा।...
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