डॉ. शिवचन्द प्रसाद डॉ. एम. फीरोज+ खान द्वारा सम्पादित ग्रन्थ- ÷राही मासूमः कृतित्व एवं उपलब्धियाँ' प्राख्यात आँचलिक कथाकार, साझी संस्कृति प्रबल उद्गाता, राष्ट्रवाद और अपनी माँटी के सच्चे प्रेमी राही मासूम रज+ा को हर कोण से मूल्यांकित करने का एक सार्थक और यथोचित प्रयास है जिसमें, सम्पादक काफी हद तक सफल भी रहा हैं। जहाँ अब तक समीक्षाएँ आँचलिक, आँचलिकता के घिसे-पिटे सतही मुहावरे तक ही सीमित रही हैं या श्लीलता-अश्लीलता के विवाद को ही सुलझाने में अपनी इतिश्री समझती रही हैं, वहीं यह पुस्तक राही की विश्व दृष्टि और वैचारिकता का सामना करती हुई उनके विभिन्न अन्तरंग पहलूओं को भी प्रकाश में लाती है। इस कार्य में पुस्तक में सम्पादित साक्षात्कार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सहायक की भूमिका निभाते हैं, जिन से यह सिद्ध होता है कि राही का जीवन दुःखों का महाकाव्य और संघर्षों की वीरगाथा है। इस संदर्भ में डॉ. प्रेमकुमार के द्वारा नैयर रज+ा राही, गोपालदास नीरज, शहरयार और क़ाज+ी अब्दुल सत्तार से लिए गये साक्षातकार विशेष उल्लेखनीय है। यद्यपि जिस प्रेमकुमार पर डॉ. नामवर सिंह मुहर लगा चुके हों, उन पर अब कुछ कहना...
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