सीमा गुप्ता
तेरी बातों पे ना जाने मुझे क्यों प्यार आता है,
तुझे देखूं ना मैं जब तक नही करार आता है.
तेरी आँखों से यूं लगता है जैसे कोई जाम पीता हूँ,
खुले होठों से गिरते फूलों को मैं थाम लेता हूँ.
नींद आती नही मुझको तो हर पल ख्वाब आतें हैं,
ख्वाबों मे मैं तुझे हर पल अपनी बाँहों मे पाता हूँ.
मिलन के बाद एक पल बिछड़ने का भी आता है,
वो घडी ऐसी होती है जैसे तूफान आता है.
मेरी चाहत की हद कितनी है ये दिखलाना चाहता हूँ,
जीते जी ही नही मर कर भी तुझको पाना चाहता हूँ...
तेरी बातों पे ना जाने मुझे क्यों प्यार आता है,
तुझे देखूं ना मैं जब तक नही करार आता है.
तेरी आँखों से यूं लगता है जैसे कोई जाम पीता हूँ,
खुले होठों से गिरते फूलों को मैं थाम लेता हूँ.
नींद आती नही मुझको तो हर पल ख्वाब आतें हैं,
ख्वाबों मे मैं तुझे हर पल अपनी बाँहों मे पाता हूँ.
मिलन के बाद एक पल बिछड़ने का भी आता है,
वो घडी ऐसी होती है जैसे तूफान आता है.
मेरी चाहत की हद कितनी है ये दिखलाना चाहता हूँ,
जीते जी ही नही मर कर भी तुझको पाना चाहता हूँ...
Comments
तुझे देखूं ना मैं जब तक नही करार आता है.
अच्छी शायरी है हमे बहुत पसंद आयी