महेंद्रभटनागर
.
राह का
नहीं है अंत
चलते रहेंगे हम!
.
दूर तक फैला
अँधेरा
नहीं होगा ज़रा भी कम!
.
टिमटिमाते दीप-से
अहर्निश
जलते रहेंगे हम!
.
साँसें मिली हैं
मात्र गिनती की
अचानक एक दिन
धड़कन हृदय की जायगी थम!
समझते-बूझते सब
मृत्यु को छलते रहेंगे हम!
.
हर चरण पर
मंज़िलें होती कहाँ हैं?
ज़िन्दगी में
कंकड़ों के ढेर हैं
मोती कहाँ हैं?
.
राह का
नहीं है अंत
चलते रहेंगे हम!
.
दूर तक फैला
अँधेरा
नहीं होगा ज़रा भी कम!
.
टिमटिमाते दीप-से
अहर्निश
जलते रहेंगे हम!
.
साँसें मिली हैं
मात्र गिनती की
अचानक एक दिन
धड़कन हृदय की जायगी थम!
समझते-बूझते सब
मृत्यु को छलते रहेंगे हम!
.
हर चरण पर
मंज़िलें होती कहाँ हैं?
ज़िन्दगी में
कंकड़ों के ढेर हैं
मोती कहाँ हैं?
Comments