आप सबसे ज़्यादा किस किन्नर से प्रभावित हुई है और क्यों?
नहीं मैं किसी भी किन्नर से प्रभावित नहीं हूँ। अगर मैं प्रभावित हूँ तो अपनी जिन्दगी के उतार चढ़ावो से, अगर मैं प्रभावित हूँ तो मेरे साथ हुए मेरे ही परिवार या मित्रा-प्यारों के व्यवहार से, अगर मैं प्रभावित हूँ तो अपने द्वारा किये गये मेरे संघर्षों से, अगर मैं प्रभावित हूँ तो इस बात से कि मेरे अपनों जिन्हें मैंने जान से भी ज्यादा चाहा, उनके द्वारा मुझे प्यार देना तो दूर, मुझे इन्सान भी नहीं समझा इस बात से। मैं खुद को अपने अन्दर से बिल्कुल ही मर चुकी हूँ! मुझे पता है कि मेरा अपना कोई नहीं इस पूरी दुनिया में, मैं अपने साथ हुए भेदभाव और लोगों के व्यवहार से प्रभावित होती हूँ।
आप अपने परिवार में सबसे ज़्यादा किसको याद करती हैं और क्यों?
मैं सच बताऊँ तो मैं अपने परिवार के किसी एक सदस्य को नहीं बल्कि सभी को याद करती हूँ, मेरे लिए मेरे परिवार के सभी सदस्य महत्त्वपूर्ण हैं और सभी एक समान ही प्यार करती हूँ।
आप आज तक सबसे ज्यादा खुश कब हुई थीं?
मुझे अभी तक खुद याद नहीं आ रहा कि मैं आखिरी बार कब खुश हुई थी। मुझे नहीं लगता कि किस्मत ने मुझे कभी वो खुशी दी है जिसको मैं हमेशा याद रख सकूँ। मैंने जिन्दगी में सिर्फ आँसू बहाना सीखा है!
अपने तीज-त्यौहार के बारे में कुछ बताइये?
हमारे तीज त्यौहार वही हैं जो आप मनाते हो। हमारा कोई विशेष त्यौहार नहीं होता। सभी किन्नर अपने-अपने धर्म और जाति के अनुसार त्यौहार मनाते हैं।
क्या आप भारत सरकार/राज्य सरकार से कुछ कहना चाहती हैं?
59. मैंने अपने सवालों और जवाबों में बहुत कुछ कहा है। मुझे लगता है अगर कोई परिवर्तन आना होगा या हमारी भारत सरकार या राज्य सरकार कोई परिवर्तन लाना चाहती होगी तो उनके लिए इतना ही बहुत है।
क्या किन्नरों में भी आर्थिक रूप से निम्न, मध्य और उच्च वर्ग होता है?
जी बिल्कुल किन्नरों में में भी निम्न, मध्य और उच्च वर्ग होते हैं ।
क्या आप लोगों को प्रत्येक क्षेत्रा में आरक्षण मिलना चाहिए?
जी बिल्कुल किन्नर समाज को प्रत्येक क्षेत्रा में एवं प्रत्येक विभाग में आरक्षण मिलना चाहिए। अब किन्नर समाज उस आरक्षण का लाभ किस तरह से लेता है और लेता भी है या नहीं वो उन पर निर्भर है। लेकिन आप तो अपनी तरफ से ये कार्य कीजिए। बहुत से किन्नर है जो इस लाभ का फायदा उठाना चाहते है और कामयाबी की एक नई इबारत लिखना चाहते है।
क्या आरक्षण मिलने से आपके समाज का उत्थान हो पायेगा?
जी बिल्कुल हो पायेगा। बस कोशिश है तो एक शुरुआत करने की। जो हमारी भारत सरकार या राज्य सरकार की जिम्मेदारी है ।
क्या आप लोगों को चलने-फिरने और ताली बजाने का प्रशिक्षण दिया जाता है?
जी नहीं! किसी भी तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। बल्कि फूटी किस्मत और समय की मार सबकुछ सिखा देती है। चाल-ढाल और व्यवहार हर व्यक्ति में जन्म से ही होता है। आप फिल्मी सितारों की तरह एकि्ंटग एक सीमित समय तक कर सकते हैं! न कि हमेशा और हर पल। हमें घुघरूं बजाना सिखाया नहीं जाता बल्कि हमारे अपनों के द्वारा ठुकरा दिए जानें के कारण और जिस समाज में हम पैदा हुए उसी समाज के ताने हमें सबकुछ सिखा देते है।
आप समाज को कोई संदेश देना चाहती हैं?
मेरी तरफ से समाज को संदेश नहीं बल्कि हाथ जोड़कर निम्र निवेदन है कि कृपया करके किन्नरों को भी इन्सान समझो। उन्हें भी अपने भाई-बहन की तरह ही आदर और सम्मान दीजिये। सिर्फ बधाई या नेग देना ही काफी नहीं, उन्हें अपनापन और प्यार भी दीजिये। वो फकीर है और हमेशा आपका भला चाहते है। मैं मानती हूँ कि कई बार बधाई या नेग को लेकर छोटी-मोटी नोंकझोक हो जाती है, लेकिन इन बेचारों के पास इसके सिवाय कोई और साधन भी तो नहीं है ना आय का। वो आपको और आपके परिवार को अपना समझते है तभी तो आपसे अधिकार से कुछ भी माँग लेते है और अगर आप उनको और कुछ नहीं तो कम से कम सम्मान ही दे दीजिये।
सम्पर्क-
मनीषा महंत, गद्दीनशीन गुरु, गाँव-भुना, तहसील-गुहला, जिला-कैथल, हरियाणा-136034
डॉ. एम. फीरोज अहमद, सम्पादक- वाड्मय पत्रिका, 205-ओहद रेजीडेंसी, दोदपुर रोड, अलीगढ़-202002
डॉ. मो. शमीम, असि. प्रोफेसर-अंग्रेजी, हलीम मुस्लिम पी.जी. कॉलेज, चमनगंज, कानपुर- 2080001
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