SEEMA GUPTA
अंतर्मन की ,
विवश व्यथित वेदनाएं
धूमिल हुई तुम्हे
भुलाने की सब चेष्टाएँ,
मौन ने फिर खंगाला
बीते लम्हों के अवशेषों को
खोज लाया
कुछ छलावे शब्दों के,
अश्कों पे टिकी ख्वाबों की नींव,
कुंठित हुए वादों का द्वंद ,
सुधबुध खोई अनुभूतियाँ ,
भ्रम के द्वार पर
पहरा देती सिसकियाँ..
आश्वासन की छटपटाहट
"और"
सजा दिए मानसपट की सतह पर
फ़िर विवश व्यथित वेदनाएं
धूमिल हुई तुम्हे
भुलाने की सब चेष्टाएँ,
अंतर्मन की ,
विवश व्यथित वेदनाएं
धूमिल हुई तुम्हे
भुलाने की सब चेष्टाएँ,
मौन ने फिर खंगाला
बीते लम्हों के अवशेषों को
खोज लाया
कुछ छलावे शब्दों के,
अश्कों पे टिकी ख्वाबों की नींव,
कुंठित हुए वादों का द्वंद ,
सुधबुध खोई अनुभूतियाँ ,
भ्रम के द्वार पर
पहरा देती सिसकियाँ..
आश्वासन की छटपटाहट
"और"
सजा दिए मानसपट की सतह पर
फ़िर विवश व्यथित वेदनाएं
धूमिल हुई तुम्हे
भुलाने की सब चेष्टाएँ,
Comments
itnee maasoom
aur
itneepravaahpoorna abhivyakti k liye
apka abhinandan !