रजनी मेहता सूरदास ने किया कृष्ण के बाल्य रूप का वर्णन, भ्रमरगीत में किया उन्होनें निर्गुण ब्रह्रम का खण्ड़न! कृष्ण चले गये मथुरा गोपियों को छोड़, और अपनी यादों में किया गोपियों को भाव-विभोर! उद्धव को था अपने ज्ञान पर अभिमान, पर वे थे अभी प्रेम की शक्ति से अन्जान! कृष्ण ने उन्हे भेजा गोपियों के पास, करवाने इस बात का एहसास, कभी मत करो अभिमान, यही देना चाहते थे कृष्ण उद्धव को ज्ञान! उद्धव पर गोपियों ने किये वचनों के तीखे प्रहार, कृष्ण भी गोपियों के विरह में तड़पते नजर आते हैं कई बार! उद्धव हुए गोपियों के सामने पराजित, नहीं निकाल पाए क्रष्ण को जो गोपियों के हृदय में थे विराजित!? नहीं दिला पाए गोपियों को निर्गुण ब्रह्रम का ज्ञान, उद्धव को अन्त में करना पड़ा प्रेम का सम्मान! जब उद्धव चले ब्रज से मथुरा की और, उनके जीवन व विचारों में आ गया था परिवर्तन का दौर! कहलाते हैं सूर जन्म से जन्मांध, पर भ्रमरगीत ने ड़ाल दी हिन्दी साहित्य में नई जान!
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