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Showing posts from October, 2023

उपहार

 "आप मर्दों की भावना बड़ी अजीब होती है, हमेशा अपना ही स्वार्थ देखते हैं। जो अपराध स्वयं बड़े शौक से करते हैं। इस अपराध के लिए स्त्रियों को कलंकिनी या और भी गंदे शब्दों से पुकारते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि उसे अपराध में वह हमेशा किसी दूसरे की पत्नी या होने वाली पत्नी को ही शामिल करते हैं और स्वयं सोचते हैं कि उनको बीवी एकदम निर्दोष और स्वच्छ मिले।”  मोहम्मद ताहिर, उपहार कहानी

डॉ. रत्नेश सिंहा की कलम से

 बहुत परिश्रम से लिखी गई एक दस्तावेज़ी किताब।अभी मैं ने इसका पहला अध्याय ही पढ़ा है। किन्तु, मुझे विश्वास के साथ कहने से कोई परहेज नहीं है कि लेखक #नफीस आफ़रीदी   ने बड़े धैर्य से विस्तृत सामग्रियों को बेहद तरतीबी से प्रस्तुत किया है।लेखक को साधुवाद!संपादक डॉ फिरोज अभिनंदनीय हैं कि उन्होंने इसे पुस्तकाकार रूप देकर हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में अपना जिम्मेदारी पूर्ण योगदान दिया है। उनसे ऐसे कुछ और साहित्यिक ग्रन्थों की आशा है और मेरे जानते वे अपने इस महत कार्य में लगे हैं। शुभकामनाएं!

नफ़ीस आफ़रीदी

 ... एक लम्बे समय से मैं कहानियां लिख रहा हूं। यह नहीं जानता कि तमाम तरह के संघर्षों के बावजूद लिखना क्यों जारी है? मैंने कभी जानने की कोशिश नहीं की, लेकिन लगता है कि मेरे पास अपना कहने को लेखन के सिवा कुछ भी नहीं है। मेरा ओढ़ना-बिछौना, मेरे रिश्ते और मेरे पेट की भूख मेरा लेखन ही है और क्या दूं किसी को? मेरे पास है ही क्या? बस, एक अहसास दे सकता हूं कि मैं उनके साथ हूं।... हमारा जीना मरना और हमारी तकलीफें एक है। नफ़ीस आफ़रीदी की कलम से...

डॉ. फ़ीरोज़ खान

 

कथाकार ज़हूर बख्श

 

डॉ. एम. फ़ीरोज़ खान

 

मुस्लिम कथाकार कथा आलोचना

 

जनवादी कथाकार इसराइल

 

नफ़ीस आफ़रीदी

 

कथाकार ज़हूर बख्श

 

जनवादी कथाकार इसराइल

 

कथाकार इसराइल

 

Nafees Afridi

 

मुस्लिम लेखकों के हिन्दी कथा-साहित्य

  हिन्दी साहित्य के विकास-क्रम में आरम्भ से ही मुस्लिम लेखकों ने अपने योगदान की गौरवमय भूमिका का निर्वाह किया। जायसी, कुतबन, मंझन, नूर मोहम्मद, उस्मान और शेख नवी जैसे सूफी कवियों ने अपने काव्य संसार से प्रेम-मार्ग को प्रशस्त किया। रहीम-रसखान भक्ति और नीति के शीर्षस्थ कवि हुए। मुस्लिम कवियों की यह परम्परा अटूट थी। इसका आभास हमें हिन्दी काव्य-जगत में आज सशक्त मुस्लिम कवियों की काव्य-धाराओं को पर्याप्त प्रतिष्ठा तो मिली है, परन्तु मुस्लिम लेखकों की गद्य परम्परा का स्वतंत्रा रूप से कोई शोध-स्तर पर आंकलन नहीं हुआ है। खड़ी-बोली गद्य के विकास में जिन मुसलमान कृतिकारें का योगदान रहा है, उसका हिन्दवी, दक्खिनी हिन्दी और हिन्दुस्तानी के अन्तर्गत ही विवेचन हुआ है। हिन्दी गद्य का आरमथ्भक स्वरूप सर्वप्रथम हमें मुंशी इंशाअल्ला खाँ की कृति ”रानी केतकी की कहानी“ में देखने को मिलता है। यहीं से हम मुस्लिम गद्यकारों की नयी परम्परा की स्थापना मानेंगे, बल्कि हिन्दी कथा-साहित्य के निर्माण में मुस्लिम-लेखकों की संलग्नता का प्रथम सोपान भी 19वीं शती में ही माना जाएगा। ......