प्रो. शर्मिला सक्सेना पुष्पिता अवस्थी प्रवासी भारतीय लेखकों में एक प्रतिष्ठित नाम है। आप विश्व भर के भारतवंशियों व अमर इंडियन जनजातियों पर अपने अध्ययन व विशेषज्ञता के लिए मुख्यतः जानी जाती हैं। सूरीनाम से आपका गहरा सरोकार है। सन 2001 में सूरीनाम के राजदूतावास, भारतीय संस्कृति केंद्र में प्रथम सचिव व प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हुईं। तभी से आप सूरीनाम में रहने वाले भारतवंशियों को जानने व समझने का प्रयास करने लगीं। इसी समझ का परिणाम है यह उपन्यास ‘छिन्नमूल’, जिसमें पहली बार किसी प्रवासी भारतीय लेखिका ने सूरीनाम और कैरेबियाई देश को अपने उपन्यास का विषय बनाया है। आपने गिरमिटिया परंपरा में सूरीनाम की धरती पर आये पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूरों की संघर्ष गाथा को यथातथ्य रूप में उकेरने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। यह उन लोगों की कहानी है जो अपनी जड़ों से कटकर पराए देश में रहते हुए भी अपने धर्म, संस्कृति से जुड़े हुए हैं और उसके वाहक हैं। दूसरी जमीन पर अपनी संस्कृति के बीज बोना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जिसके कारण सूरीनाम में भारतीय संस्कृति सांसें ले रही है। सूरीनाम पर इससे पहले डच ...
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