राही मासूम रजा और आधा गाँव - प्रो० जोहरा अफ़जल राही मासूम रजा एक ऐसे आधुनिक रचनाकार थे जिनकी रचनाओं का मुख्य विषय राजनीति है। चाहे वह उनका उपन्यास हो, कहानी हो, कविता हो अथवा निबन्ध। उनकी सभी रचनाओं में समय की अनुगूँज सुनाई देती है। राही के उपन्यासों में आधा गाँव टोपी शुक्ला, हिम्मत जौनपुरी, ओस की बूँद,सीन ७५, दिल एक सादा कागज,कटरा बी आरजू, असन्तोष के दिन और नीम का पेड़ में से सबसे अधिक चर्चित उपन्यास आधा गाँव है। राही ने इस उपन्यास में गंगौली गाँव की वास्तविक कथा के माध्यम से १९३७ से १९५२ तक के समय के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक यथार्थ और उसकी परिवर्तनशील स्थितियों का वितान रचा है। राही का यह उपन्यास हिन्दी के महत्त्वपूर्ण उपन्यासों में से एक है। आधा गाँव आधुनिक भारतीय समाज के विभिन्न विषयों को समेटे हुए है। लेखक ने उत्तर प्रदेश के एक गाँव गंगौली के आधे टुकड़े को ही अपना कथा क्षेत्र बनाया है, जिसका वह स्वयं भोगता एवं जानकार है। हिन्दी उपन्यास जगत् में शायद पहली बार मुस्लिम जनजीवन का यथार्थ अपने विविध रंगों में उसकी अच्छी और बुरी परछाइयों को लेकर प्रस्तुत हुआ है, जिसने ...
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