SEEMA GUPTA
सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
सूरज जब मद्धम पड़ जाये
और नभ पर लाली छा जाये
शीतल पवन का एक झोंका
तेरे बिखरे बालों को छु जाए
चंदा की थाली निखरी हो
तारे भी सो कर उठ जाए
चोखट की सांकल खामोशी से
निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
एकांत के झुरमुट में छुप कर
मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी
तुम चुपके से आ जाना
झाँक के मेरी आँखों मे
एक पल में सदियाँ जी जाना
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निंदिया की आगोश में अलसाये
बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़
द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये
sunder manbhavan rachana
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।