प्रवासी कथाकार कादम्बरी मेहरा से डाॅ. एम. फ़ीरोज़ खान की बातचीत आप अपने जन्मस्थान, शिक्षा, घर परिवार और साहित्यिक पृष्ठभूमि के बारे में बताइये। मेरा जन्म पुरानी दिल्ली में नाना के घर हुआ। जामा मस्जिद का इलाका था। उसी गली में इंद्रप्रस्थ स्कूल था जहाँ माँ और उनकी बहने पढ़ने जाती थीं। नाना जी सरकारी वकील थे और उनके पिताजी दिल्ली के सिविल सर्जन। मेरी माँ का बचपन भारत छोड़ो आंदोलन से प्रभावित था। घर में बड़ी-बड़ी हस्तियों का आना-जाना था। सर आसिफ अली जी नाना के परम मित्रा थे। आज़ादी का जुनून सर चढ़ के बोलता था। नानाजी श्री जवाहर लाल नेहरू के संग पढ़े थे लाहौर में। हमउम्र थे और दोस्ती नेहरू जी के नेता बन जाने तक खूब चली। माँ अरुणा आसिफ अली जी के दल में स्वतंत्राता के जुलूस निकालती थीं। मेरे पिता जी लखनऊ के खानदानी रईस घराने से थे। अंग्रेजों से अच्छे सम्बन्ध थे। शिक्षा का बहुत महत्त्व था। दृष्टिकोण नया था अतः उच्च शिक्षा ली और इंजीनियरिंग की। उनके छोटे भाई डाॅक्टर बने लखनऊ मेडिकल काॅलेज में। लड़कियों को भी पढ़ाई करवाई। हम पाँच बहनें एम.ए. तक पढ़े, पाँचवीं डाॅक्टर बनी। हमारा एक...
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