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नई सुबह

सी.आर.राजश्री
घिर आई है धूप सुनहरी,
देखो बीत चुकी है रात गहरी,
पक्षियों की चहचहाहट है अनूठी,
भूल जाओ गत पल की यादें कड़वी।

खिल उठा प्रकृति का यौवन,
फूलों की खुश्बू से महक उठा मन,
उत्साह और उमंग से भर उठा तन,
प्रेम के तरंग में झूम उठा जीवन।

गूँज उठे मंदिर में भजन कीर्तन,
प्रभु के चरणों में कर दो सब अर्पण,
सत्य के राह पर से न बहके कदम,
हिम्मत और मेहनत पर चले हरदम।

उठ बिस्तर छोड़, जाग रे मानव,
आलस भरी नींद को तू त्याग दे,
जीवन के पथ पर चलकर,
ढ़ेर सारी खुशियाँ तू बटोर ले,
कर्मपथ पर नाम नया,
अपना तू लिख दें,
न मिलेगा फिर तुझे ऐसा अवसर,
आगे बढ़ चल पूरी कर ले कसर।

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